संसार का प्रत्येक प्राणी जन्म लेता है और मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, यह चक्र सदा से चलता आया है और चलता रहेगा। भगत सिंह भारतवासी युगों तक नहीं भूल पाएँगे।

 संसार का प्रत्येक प्राणी जन्म लेता है और मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, यह चक्र सदा से चलता आया है और चलता रहेगा। जाने कितने लोग इस दुनिया में आकर यहाँ से चले गये हैं, आज कोई उनका नाम भी नहीं जानता। किन्तु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके इस दुनिया से चले जाने पर भी वे अपने देश और समाज के दिलों से कभी नहीं जाते, अपने श्रेष्ठ कार्यों से उनका नाम सदा-सदा के लिए अमर हो जाता है। ऐसा ही एक नाम शहीद भगत सिंह का भी है, जिन्हें भारतवासी युगों तक नहीं भूल पाएँगे।

 

जन्म तथा बचपन:

 

भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गाँव में हुआ था। (अब यह स्थान पाकिस्तान में चला गया है।) उनके जन्म के समय उनके पिता सरदार किशन सिंह स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लेने के कारण सेंट्रल जेल में बन्द थे। सरदार किशन सिंह के दो छोटे भाई थे- सरदार अजीत सिंह तथा सरदार स्वर्ण सिंह। इस समय सरदार अजीत सिंह मांडले जेल में तथा सरदार स्वर्ण सिंह अपने बड़े भाई सरदार किशन सिंह के साथ ही सजा भुगत रहे थे। इस प्रकार भगत सिंह के जन्म के समय उनके पिता तथा दोनों चाचा देश की आजादी के लिए जेलों में बन्द थे। घर में उनकी माँ श्रीमति विद्यावती, दादा अर्जुन सिंह तथा दादी जयकौर थीं। किन्तु बालक भगत सिंह का जन्म ही शुभ था अथवा दिन ही अच्छे गये थे कि उनके जन्म के तीसरे ही दिन उसके पिता सरदार किशन सिंह तथा सरदार स्वर्ण सिंह जमानत पर छूट कर घर गये तथा लगभग इसी समय दूसरे चाचा सरदार अजीत सिंह भी रिहा कर दिये गये। इस प्रकार उनके जन्म लेते ही घर में यकायक खुशियों की बाहर गयी, अत: उनके जन्म को शुभ समझा गया। 
इस भाग्यशाली बालक का नाम उनकी दादी ने भागा वाला अर्थात् अच्छे भाग्य वाला रखा। इसी नाम के आधार पर उन्हें भगत सिंह कहा जाने लगा। 
भगत सिंह अपने माता-पिता की दूसरी सन्तान थे। सरदार किशन सिंह के सबसे बड़े पुत्र का नाम जगत सिंह था, जिसकी मृत्यु केवल ग्यारह


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हिंद स्वराज का दुर्बल पक्ष

28/11/2010 12:32
  हिंद स्वराज का दुर्बल पक्षडॉ. लोहिया ने 1963 में लिखा था, गांधी जी ने दार्शनिक और कार्यक्रम-संबंधी उदारवाद का जो मेल बिठाया, उसका मूल्यांकन करने का समय शायद अभी नहीं आया है।...अधिकांश देशवासी आजादी की प्राप्ति को ही उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। दरअसल वह कोई उपलब्धि नहीं है। उनके बिना भी देश अपनी आजादी हासिल कर लेता...उनके रहते कौम और देश का बंटवारा हुआ। कुछ विवेकशील विदेशियों की राय में गांधी दुःखी, पीड़ित और दबे हुए लोगों की...

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